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लेखनी प्रतियोगिता -27-Sep-2022 प्रतीक्षा

 




       पीहू के हाथ में एक  खत था जिसे उसने अपने हाथ में कसकर पकड़ रखा था और वह उस खत को अब तक कई बार पढ़ चुकी थी परन्तु पीहू उस खत को बार बार जोर जोर से पढ़रही  थी। इस खत को वह आज कई दिनौ से ऐसे ही पढ़ती आरही थी।  आज लोग उसे पगली कहकर पुकार यहे थे 

     आते जाते लोग उसे पगली ही कहते थे उस गाँव के लोगौ को मालूम था कि वह पगली नही वह इस गाँव की सबसे चुलबुली लड़की थी।

       यह खत उसके  प्रेमी समीर का था।  वह दिन शायद पीहू के लिए सबसे मनहूस दिन था जब उसके बापू समीर को अपने घर लाये थे। यदि उनको  ऐसा मालूम होता कि यह दिन उसकी बेटी के लिए सबसे मनहूस दिन होगा तो वह  समीर को  अपने घर कभी नही लेकर आते।

       रामकिशन  किशनगढ गाँव के सरपंच थे उनकी अकेली सन्तान पीहू उनकी बेटी ही थी।  बेटी के जन्म पर उन्हौने बहुत खुशिया मनाई थी और पूरे गाँव को एक पार्टी भोज भी दिया था।

       उन्हौने अपनी बेटी का नाम भी पीहू रखा था पीहू गाँव में पढ़ने जाती थी उनके गाँव मे उस समय दसवी तक का स्कूल था पीहू ने गाँव के स्कूल से दसवी पास की थी। पीहू आगे पढ़ना चाहती थी परन्तु उसी समय  उसकी माँ की कैन्सर की बीमारी के कारण मौत होगयी और पीहू का शहर जाना कैन्सिल होगया।

       एकबार की बात है कि उस साल बहुत तेज बारिस हुई चारौ तरफ बाढ़ आगयी उनके गाँव के पास की नदी में भी बाढ़ आई हुई थी।

                 एक दिन सरपंच सुबह अपने खेतौ पर घूमने गये तब वह नदी किनारे भी गये थे वहाँ उन्हौने  नदी के किनारे एक आदमी बहता हुआ देखा । उन्हौने वहाँ काम कर रहे  मजदूरौ की सहायता से उसे बाहर निकलवाया वह जिन्दा था। उसकी साँसें चलरही थी।

       राम किशन उसे अपने घर लेआये और उसका बैद्यजी से इलाज करवाया। वह लड़का ठीक तो होगया परन्तु उसकी याद दास्त नही आई थी। वह अपने बारे मे कुछ बताने में अस्मर्थ था कि वह कहाँ का रहने वाला है वह कौन है?

     उसके हाथ पर उसका नाम समीर लिखा हुआ था जिससे उसको सब समीर कहने लगे।

       उसकी पीहू ने बहुत सेवा की थी  समीर को समय पर दवा खिलाना उसे पकड़कर उठाना बाहर घुमाना। जिससे पीहू समीर को चाहने लगी। समीर भी पीहू से प्यार करने लगा था।

       उधर राम किशन ने समीर के बिषय में अखवार में भी छपवाया था।परन्तु समीर का कोई रिश्तेदार नहीं आया। पीहू ने समीर को आपना पति मान लिया। और एक दिन उसने समीर पर विश्वास करके  उसे अपना  सब कुछ सौप दिया।

      एक दिन समीर और पीहू नदी किनारे गये। पीहू समीर से बोली," देखो समीर तुम मेरे पापा को इसी नदी के किनारे नदीं में मिले थे ??

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5 Comments

Palak chopra

28-Sep-2022 11:56 PM

Bahut accha likha hai aapne 🌺💐🙏

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Punam verma

28-Sep-2022 07:55 AM

Nice

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बहुत सुन्दर प्रस्तुति...🌺💐👍🙏

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